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CBSE 10th Sample Paper Hindi Set 4 With Solutions

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Tushar
Tushar
CBSE 10th Sample Paper Hindi Set 4 With Solutions

समय :3 घंटे 
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश

  1. इस प्रश्न- पत्र में कुल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  2. इस प्रश्न-पत्र में कुल चार खंड हैं- क, ख, ग, घ।
  3. खंड-क में कुल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 10 है।
  4. खंड-ख में कुल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है । दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 16 उप- प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  5. खंड-ग में कुल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है।
  6. खंड-घ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
  7. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।

खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)

इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।

प्रश्न  1. 
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)

भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्त्व है। आध्यात्मिक उन्नति या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्त्व को प्रायः सभी दर्शनों व भारतीय धार्मिक संप्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है। आधुनिक युग में योग का महत्त्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है । यदि मनुष्य शारीरिक रूप से स्वस्थ है, तो वह संसार में रहकर जीवन का सुख भोग सकता है और अपने सभी कर्त्तव्यों एवं मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है। शरीर ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपने सभी कार्यों को संपन्न कर सकते हैं। इसलिए अपने शरीर को स्वस्थ रखना हमारा प्रथम कर्त्तव्य है, जिसे योग द्वारा स्वस्थ बनाया जा सकता है। 21 जून, 2015 को प्रथम बार संपूर्ण विश्व में ‘विश्व योग दिवस’ मनाया गया। इसके साथ ही यह घोषणा भी की गई कि प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

योग प्राचीन समय से ही भारतीय संस्कृति का अंग रहा है। हमारे पूर्वजों ने बहुत समय पहले ही इसका आविष्कार कर लिया था और इसके महत्त्व को पहचान लिया था। इसलिए योग पद्धति सदियों बाद भी जीवित है। योग करने से न केवल तन की थकान दूर होती है, बल्कि मन की थकान भी दूर होती है। योग करने वाला व्यक्ति अपने अंग-प्रत्यंग में एक नए उत्साह एवं स्फूर्ति का अनुभव करता है। योग करने से शरीर के प्रत्येक अंग में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है तथा शरीर रोगमुक्त रहता है। अतः योग दिवस का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में योग से प्राप्त होने वाले लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है । मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में योग पूर्णतः सक्षम है।

(क) गद्यांश के आधार पर बताइए कि हमारा प्रथम कर्त्तव्य क्या है? 
(i) शरीर को स्वस्थ रखना 
(ii) योग करना 
(iii) मनोकामनाओं को पूर्ण करना 
(iv) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर: 
(i) शरीर को स्वस्थ रखना गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि हमारा प्रथम कर्त्तव्य शरीर को स्वस्थ रखना है और शरीर को योग के माध्यम से स्वस्थ रख सकते हैं।

(ख) निम्नलिखित कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए 
मनुष्य को शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, क्योंकि 
1. वह स्वस्थ रहकर ही जीवन के समस्त सुख भोग सकता है। 
2. वह स्वस्थ रहकर ही अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण नहीं कर सकता है। 
3. वह स्वस्थ रहकर ही मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकता है। 
4. वह स्वस्थ रहकर ही जीवन की व्यस्तताओं से बच सकता है। 
कूट 
(i) केवल 1 सही है । 
(ii) केवल 2 सही है। 
(iii) 1 और 3 सही हैं। 
(iv) 3 और 4 सही हैं। 
उत्तर: 
(i) केवल 1 सही है । मनुष्य को शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, क्योंकि स्वस्थ रहकर ही वह जीवन के समस्त सुखों को भोग सकता है।

(ग) कथन (A) योग का आविष्कार अर्वाचीन समय का ही है। 
कारण (R) मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में योग पूर्णतः सक्षम नहीं है। 
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है। 
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं। 
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है। 
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है । 
उत्तर: 
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं। योग का आविष्कार अर्वाचीन समय का ही है तथा मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में योग पूर्णतः सक्षम नहीं है। ये दोनों कथन गलत हैं, क्योंकि योग का आविष्कार प्राचीनतम है तथा योग में मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने की पूर्ण क्षमता है।

(घ) योग दिवस किस उद्देश्य से मनाया जाता है? 
उत्तर: 
योग दिवस का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में योग से प्राप्त होने वाले लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है, क्योंकि योग मनुष्य को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में सक्षम है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का केंद्रीय भाव क्या है? 
उत्तर: 
प्रस्तुत गद्यांश में योग के महत्त्व के विषय में बताया गया है। योग प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति का महत्त्वपूर्ण अंग रहा है। आज के जीवन में योग की महत्ता और भी बढ़ गई है। योग हमें मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न  2. 
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । 
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। 
पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी, 
ज्ञात होता है न इसका भेद औरों की ज़बानी । 
अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या, 
पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी, 
यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है, 
खोल इसका अर्थ पंथी, पंथ का अनुमान कर ले। 
यह बुरा है या कि अच्छा व्यर्थ दिन इस पर बिताना, 
जब असंभव, छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना, 
तू इसे अच्छा समझ यात्रा सरल इससे बनेगी,

सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना, 
हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है, 
तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले। 
है अनिश्चित किस जगह पर सरित गिरि गह्वर मिलेंगे 
है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर खिलेंगे, 
किस जगह यात्रा खत्म हो जाएगी यह भी अनिश्चित, 
है अनिश्चित, कब सुमन, कब कंटकों के शर मिलेंगे, 
कौन सहसा छूट जाएँगे, मिलेंगे कौन सहसा, 
आ पड़े कुछ भी, रुकेगा तू न, ऐसी आन कर ले।

(क) प्रस्तुत काव्यांश में ‘बाट की पहचान’ से क्या तात्पर्य है? 
(i) लक्ष्य की पहचान 
(ii) दिशा की पहचान 
(iii) ज्ञान की पहचान 
(iv) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर: 
(i) लक्ष्य की पहचान प्रस्तुत काव्यांश में ‘बाट की पहचान’ से तात्पर्य लक्ष्य की पहचान करने से है ।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश के केंद्रीय भाव हेतु दिए गए कथनों को पढ़कर सही विकल्प चुनिए । 
1. मनुष्य को अपने पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए। 
2. मनुष्य को दूसरों के अनुभव के आधार पर मार्ग तय करना चाहिए। 
3. मनुष्य को अन्य पथिकों का अनुसरण करना चाहिए। 
4. मनुष्य को यात्रा सरल बनाने के लिए पथ पर विश्राम करना चाहिए । 
कूट 
(i) केवल 1 सही है। 
(ii) 2 और 3 सही हैं। 
(iii) 1, 2 और 4 सही हैं। 
(iv) 1 और 2 सही हैं। 
उत्तर: 
(i) केवल 1 सही है । प्रस्तुत काव्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि मनुष्य को किसी भी तरह के पथ पर चलने से पहले अपने पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए।

(ग) निम्नलिखित कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए 
अपने लक्ष्य का भेद स्वयं ही खोजना पड़ता है, क्योंकि 
1. इसके बारे में ज्ञान पुस्तकों से नहीं मिलता। 
2. मार्ग कठिनाइयों से होकर गुजरता है। 
3. लोग आपस में ईर्ष्या रखते हैं। 
4. मार्ग में सुंदर जगह देखने को मिलती है। 
कूट 
(i) केवल 1 सही है 
(ii) 2 और 3 सही हैं 
(iii) 1 और 4 सही हैं 
(iv) 2 और 4 सही हैं 
उत्तर: 
(i) केवल 1 सही है मनुष्य को अपने लक्ष्य का भेद स्वयं ही खोजना पड़ता है, क्योंकि इसके बारे में ज्ञान पुस्तकों में नहीं मिलता।

(घ) काव्यांश के आधार पर बताइए कि पुस्तकों में किसकी कहानी नहीं मिलती ? 
उत्तर: 
काव्यांश के आधार पर पुस्तकों में जीवन रूपी मार्ग में क्या-क्या सुख-दुख आएँगे, क्या बाधाएँ आएँगी और कौन – सा लक्ष्य जीवन के लिए श्रेष्ठ होगा इनकी कहानी नहीं मिलती।

(ङ) “तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले।” पंक्ति में ‘तू’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? 
उत्तर: 
‘तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले’ पंक्ति में ‘तू’ शब्द मनुष्य के लिए प्रयुक्त हुआ है। प्रस्तुत कविता मनुष्य को सचेत करते हुए अपने जीवन रूपी मार्ग की पहचान करने के लिए अवगत करती है।

खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)

व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।

प्रश्न  3. 
निर्देशानुसार ‘वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) ‘मुझे देखकर तुम रुक गए थे।’ इसे संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए । 
उत्तर: 
‘तुमने मुझे देखा और रुक गए।

(ख) ‘उस महिला को बुलाओ जिसके पास छतरी है।’ सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए । 
उत्तर: 
छतरी वाली महिला को बुलाओ ।

(ग) ‘श्याम घर से निकला और वर्षा होने लगी ।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए । 
उत्तर: 
प्रस्तुत वाक्य संयुक्त वाक्य है ।

(घ) ‘रात को देर तक जागने से मेरे सिर में दर्द हो गया।’ मिश्र वाक्य में परिवर्तित कीजिए । 
उत्तर: 
जब मैं रात को देर तक जागा, तो मेरे सिर में दर्द हो गया।

(ङ) अध्यापक ने कहा कि कल विद्यालय में समारोह है। 
उत्तर: 
प्रस्तुत वाक्य मिश्र वाक्य है।

प्रश्न  4. 
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) ‘कैप्टन द्वारा चश्मा बदल दिया जाता है।’ वाच्य का प्रकार बताइए | 
उत्तर: 
प्रस्तुत वाक्य कर्मवाच्य है।

(ख) ‘कुत्ते के द्वारा भौंका जाता है।’ कर्तृवाच्य में बदलिए । 
उत्तर: 
कुत्ता भौंकता है।

(ग) ‘दुकानदार ने उचित मूल्य लिया।’ कर्मवाच्य में बदलिए । 
उत्तर: 
दुकानदार द्वारा उचित मूल्य लिया गया ।

(घ) ‘मैंने पत्र लिखा ।’ कर्मवाच्य में बदलिए । 
उत्तर: 
मेरे द्वारा पत्र लिखा गया ।

(ङ) ‘हिरण तेज भागा।’ भाववाच्य में बदलिए । 
उत्तर: 
हिरण से तेज़ भागा गया।

प्रश्न  5. 
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद – परिचय लिखिए।

(क) अरे! आप तो यहाँ बैठे हैं? 
उत्तर: 
(i) अरे! विस्मयादिबोधक अव्यय, आश्चर्यसूचक

(ख) गणतंत्र दिवस पर जगह-जगह राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। 
उत्तर: 
(iii) गणतंत्र गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य ‘दिवस’

(ग) शहनाई की इसी मंगल ध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ थे। 
उत्तर: 
(i) इसी सार्वनामिक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन विशेष्य ‘मंगल ध्वनि ‘

(घ) बच्चे उधर खेल रहे हैं। 
उत्तर: 
(i) उधर स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘खेल रहे हैं

(ङ) अधिक लोग यहाँ नहीं आए। यहाँ पानी अधिक है। 
उत्तर: 
(iii) पहला अधिक — अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, दूसरा अधिक परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण

प्रश्न  6. 
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) देखि सुदामा की दीन दशा करुणा करिके करुणा निधि रोए । 
पानी परात को हाथ छुयो नहि नैनन के जल सों पग धोए। 
पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? 
उत्तर: 
इस पंक्ति में कृष्ण का रोना और उनकी आँखों से इतने आँसू गिरना कि उससे सुदामा के पैर धोए गए। यहाँ बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

(ख) ‘लघु तरनि हंसिनी-सी सुन्दर । ‘ प्रस्तुत काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? 
उत्तर: 
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में छोटी नौका को हंसिनी के समान बताया गया है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण सहित लक्षण एवं स्पष्टीकरण लिखिए । 
उत्तर: 
जहाँ उपमेय में उपमान की सँभावना प्रकट की जाती है, वहाँ, उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। 
“उस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उसका लगा। 
मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा ।।” 
यहाँ उपमेय ‘क्रोध’ में उपमान ‘हवा के वेग की तथा उपमेय ‘तनु’ में उपमान ‘सागर’ की संभावना की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है ।

(घ) ‘गोपी पद पंकज पावन कि रज जाए सिर भीजे’ प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? 
उत्तर: 
यहाँ पैरों-उपमेय पर कमल उपमान का आरोप है, इसलिए यहाँ रूपक अलंकार है।

(ङ) ‘मेघमय आसमान से उतर रही है संध्या सुंदरी परी सी धीरे-धीरे । ‘ इस काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? 
उत्तर: 
इस काव्य पंक्ति में संध्या की तुलना एक सुंदर परी से की गई है अर्थात् एक निर्जीव की सजीव से तुलना करने के कारण यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)

इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न  7. 
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5= 5)

अपनी जिंदगी खुद जीने के इस आधुनिक दबाव ने महानगरों के फ्लैट में रहने वालों को हमारे इस परम्परागत ‘पड़ोस – कल्चर’ से विच्छिन्न करके हमें कितना संकुचित, असहाय और असुरक्षित बना दिया है। मेरी कम-से-कम एक दर्जन आरंभिक कहानियों के पात्र इसी मोहल्ले के हैं, जहाँ मैंने अपनी किशोरावस्था गुजार अपनी युवावस्था का आरंभ किया था। एक-दो को छोड़कर उनमें से कोई भी पात्र मेरे परिवार का नहीं है। बस इनको देखते-सुनते इनके बीच ही मैं बड़ी हुई थी, लेकिन इनकी छाप मेरे मन पर कितनी गहरी थी, इस बात का अहसास तो मुझे कहानियाँ लिखते समय हुआ | इतने वर्षों के अंतराल ने भी उनकी भाव-भंगिमा, भाषा किसी को भी धुँधला नहीं किया था और बिना किसी विशेष प्रयास के बड़े सहज भाव से वे उतरते चले गए थे।

(क) कथन (A) महानगरों में रहने के कारण मनुष्य पड़ोस कल्चर से अलग हो गया है। 
कारण (R) मनुष्य असहाय, असुरक्षित व संकुचित हो गया है। 
कूट 
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है। 
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है। 
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। 
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है। 
उत्तर: 
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। पड़ोस कल्चर ने मनुष्य को संकुचित, असहाय व असुरक्षित बना दिया है। आधुनिक दबाव ने महानगरों में पड़ोस कल्चर को जन्म दिया है। तथा महानगरों में रहने के कारण मनुष्य पड़ोस कल्चर से अलग हो गया है।

(ख) मन्नू भंडारी ने अपनी कहानियों के पात्र कहाँ से लिए? 
(i) अपने उपन्यासों से 
(ii) अपने मोहल्ले व परिवार से 
(iii) कॉलेज से 
(iv) विद्यालय से 
उत्तर: 
(ii) अपने मोहल्ले व परिवार से मन्नू भंडारी ने अपनी कहानियों के अधिकांश पात्र अपने मोहल्ले से व एक-दो पात्र उनके परिवार के हैं। उसके अतिरिक्त सभी पात्र उनके मोहल्ले के हैं, जहाँ वे रहती थीं।

(ग) मन्नू भंडारी के मन पर किसकी छाप गहरी थी ? 
(i) सहपाठियों की 
(ii) प्रिंसिपल की 
(iii) मोहल्ले के लोगों की 
(iv) ये सभी 
उत्तर: 
(iii) मोहल्ले के लोगों की मन्नू भंडारी के मन पर मोहल्ले के लोगों की छाप गहरी थी, जिसका अहसास लेखिका को अपनी कहानियों को लिखते समय हुआ।

(घ) लेखिका ने इस मोहल्ले में अपनी कौन-सी अवस्था गुजारी ? 
(i) बचपन व किशोरावस्था 
(ii) अपना सम्पूर्ण जीवन 
(iii) बाल्यावस्था का आरंभ 
(iv) किशोरावस्था गुजार कर युवावस्था का आरंभ किया 
उत्तर: 
(iv) किशोरावस्था गुजार कर युवावस्था का आरंभ किया लेखिका ने इस मोहल्ले में अपनी किशोरावस्था गुजार कर युवावस्था का आरंभ किया था।

(ङ) पड़ोस कल्चर से क्या तात्पर्य है? सही विकल्प का चयन कीजिए | 
1. पड़ोस में रहना 
2. पड़ोसी के साथ आत्मीय संबंध होना 
3. आस-पड़ोस से प्रभावित होना 
4. पड़ोस के कल्चर को समझना 
कूट 
(i) कथन 1 सही है । 
(ii) कथन 2 सही हैं। 
(iii) कथन 1 और 3 सही हैं। 
(iv) कथन 3 और 4 सही हैं। 
उत्तर: 
(ii) कथन 2 सही है। पड़ोस कल्चर का अर्थ है – पड़ोसी के साथ आत्मीय संबंध होना। गद्यांश में बताया गया है कि आज के 
समाज में पड़ोस कल्चर लगभग लुप्त होता जा रहा है, क्योंकि सभी की जीवन-शैली अति व्यस्त हो गई है। आज व्यक्ति के पास न स्वयं के लिए और न ही अपने परिवार के लिए समय है। वह केवल धन कमाने में लगा हुआ है। पड़ोसी से पड़ोसी का कोई आत्मीय संबंध नहीं है।

प्रश्न  8. 
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6 )

(क) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में शासन तंत्र की कार्य प्रणाली पर व्यंग्य किया गया है। उसे अपने शब्दों में लिखिए । 
उत्तर: 
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में लेखक ने नगरपालिका की कार्यपद्धति पर व्यंग्य किया है कि नगरपालिका का बहुत सारा समय असमंजस में तथा चिट्ठी-पत्री जैसी औपचारिकताओं में नष्ट हो जाता है, जिसके कारण कार्य होने में विलंब हो जाता है। अंत में जल्दबाज़ी में कार्य ठीक ढंग से भी नहीं किया जाता। तात्पर्य यह है कि नगरपालिका की कार्यपद्धति में औपचारिकता तथा दिखावे को ही अधिक महत्त्व दिया जाता है।

(ख) बालगोबिन भगत का अपने खेत की पैदावार को कबीरपंथी मठ पर जाकर चढ़ा देना क्या प्रकट करता है? पाठ ‘बालगोबिन भगत’ के आधार पर उत्तर दीजिए । 
उत्तर: 
‘बालगोबिन भगत’ के खेतों में जो पैदावार होती थी, वह उसे कबीरपंथी मठ में भेंट के रूप में चढ़ा देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद के रूप में मिलता था, उसी से अपने और अपने परिवार का गुज़ारा करते थे। इससे यह प्रकट होता है कि वह कबीर के भक्त थे और उन्हीं को अपना साहब मानते थे, उनका आदर करते थे तथा अपनी सभी वस्तुओं पर उनका अधिकार समझते थे।

(ग) काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर बताइए। 
उत्तर: 
समय बीतने के साथ-साथ बिस्मिल्ला खाँ ने काशी में अनेक परिवर्तन देखे, जो उन्हें व्यथित करते थे

  1. काशी की प्राचीन और अत्यंत महत्त्वपूर्ण परम्पराएँ समाप्ति की कगार पर पहुँच चुकी थी ।
  2. साहित्य और संगीत की कद्र धीरे-धीरे कम होने लगी थी।
  3. खान-पान की पुरानी चीजों में, जैसे संगीतमय कचौड़ी व जलेबी में भी पहले जैसा स्वाद नहीं रहा था।
  4. हिंदुओं और मुस्लिमों में साम्प्रदायिक प्रेम कम होता चला गया था।
  5. कलाकारों के प्रति सम्मान की भावना में कमी आई थी।

(घ) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि नवाब साहब का व्यवहार किस वर्ग पर व्यंग्य करता है? 
उत्तर: 
‘लखनवी अंदाज़’ के पात्र नवाब साहब का व्यवहार पतनशील सामंती वर्ग और उसकी बनावटी जीवन-शैली पर व्यंग्य करता है। नवाब बनावटी जीवन शैली अपनाने में विश्वास करते हैं और इसी में अपना पूरा जीवन बिता देते हैं। उन्हें जीवन के यथार्थ और कड़वी सच्चाइयों से कोई सरोकार नहीं होता। नवाब साहब वास्तविकता से बेखबर कृत्रिम जीवन जीने में विश्वास करते हैं तथा सामान्य जीवन से कोसों दूर रहते हुए स्वयं को विशिष्ट श्रेणी का सदस्य मानते हैं।

प्रश्न  9. 
निम्नलिखित पठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)

विकल विकल, उन्मन थे उन्मन 
विश्व के निदाघ के सकल जन, 
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन 
तप्त धरा, जल से फिर 
शीतल कर दो 
बादल, गरजो!

(क) काव्यांश के अनुसार, धरती पर मनुष्यों की दशा कैसी थी ? 
(i) मनुष्य संघर्षशील थे 
(ii) मनुष्य प्रसन्न थे 
(iii) मनुष्य हर्षित थे 
(iv) मनुष्य व्याकुल और अनमने थे 
उत्तर: 
(iv) मनुष्य व्याकुल और अनमने थे प्रस्तुत काव्यांश के अनुसार, धरती पर मनुष्यों की यह दशा थी कि वे व्याकुल और अनमने थे।

(ख) बादलों को अनंत के घन कहा गया है, क्योंकि 
(i) वे अनंत ईश्वर की कृति हैं 
(ii) वे घन हैं 
(iii) वे क्रांतिकारी हैं 
(iv) वे वर्षा करते हैं 
उत्तर: 
(i) वे अनंत ईश्वर की कृति हैं बादलों को अनंत के घन इसलिए कहा गया है, क्योंकि बादलों का कभी अंत नहीं होता वे निरंतर बने रहते हैं, वे ईश्वर की कृति हैं।

(ग) कवि बादलों से क्या कहता है? 
(i) गरजने के लिए 
(ii) आकाश में छाने के लिए 
(iii) धरा को शीतल करने के लिए 
(iv) असात दिशा से आने के लिए 
उत्तर: 
(iii) धरा को शीतल करने के लिए कवि बादलों से तप्त धरती को शीतल करने के लिए कहता है।

(घ) बादल किस दिशा से आए हैं? 
(i) उत्तर दिशा से 
(ii) पूर्व दिशा से 
(iii) दक्षिण दिशा से 
(iv) अज्ञात दिशा से 
उत्तर: 
(iv) अज्ञात दिशा से प्रस्तुत काव्यांश में बताया गया है कि अनंत के घन अर्थात् बादल अज्ञात दिशा से आए हैं।

(ङ) काव्यांश में ‘निदाघ’ किसका प्रतीक है? 
(i) वर्षा का 
(ii) गर्मी का 
(iii) सर्दी का 
(iv) कष्टों और दुःखों का 
उत्तर: 
(iv) कष्टों और दुःखों का काव्यांश में निदाघ कष्टों और दुःखों का प्रतीक है।

प्रश्न  10. 
कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6 )

(क) ‘यह दंतुरित मुसकान’ पाठ में बाल मनोविज्ञान की छवियाँ बड़ी अनुपम हैं।’ कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए । 
उत्तर: 
‘यह दंतुरित मुसकान’ पाठ में शिशु कवि को पहचान नहीं पाता है और यह स्वाभाविक है कि जब बच्चा किसी को पहचानता नहीं है, तब उसकी ओर वह अपलक अर्थात् निर्निमेष देखता रहता है। इसके अतिरिक्त जब कोई अपरिचित उसकी ओर निरंतर देखता रहता है, तो वह अपना ध्यान भंग करके इधर-उधर देखता है और फिर थोड़ी देर में वह अपरिचित की ओर तिरछी नजर अर्थात् कनखी से देखता है कि कहीं वह अपरिचित उसे देख तो नहीं रहा है। यह एक छोटे बच्चे का मनोविज्ञान है । अतः इस कविता में बाल मनोविज्ञान की छवियाँ यथार्थ में बड़ी अनुपम हैं।

(ख) ‘राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद’ से हमें क्रोध से बचने की शिक्षा मिलती है। स्पष्ट कीजिए । 
उत्तर: 
राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद’ से हमें क्रोध से बचने की शिक्षा मिलती है। क्रोध सोचने की शक्ति को नष्ट कर देता है। क्रोधी व्यक्ति अच्छा-बुरा और उचित-अनुचित में भेद नहीं कर पाता । क्रोध से समस्याएं सुलझने के बजाय और उलझ जाती हैं। एक ओर क्रोधी स्वभाव वाले परशुराम और लक्ष्मण के व्यवहार को सभा में उपस्थित सभी लोग अनुचित मानते हैं, वहीं दूसरी ओर शांत चित्त राम अपने विवेक और मृदु वाणी से सबका दिल जीतकर स्थिति को सामान्य कर लेते हैं। अतः हमें राम के आचरण का अनुसरण करना चाहिए।

(ग) ‘भ्रमरगीत’ में सूरदास ने गोपियों की विरह – विवशता को कैसे प्रकट किया है? 
उत्तर: 
भ्रमर गीत में सूरदास ने उद्धव द्वारा ज्ञान योग का संदेश देते ही गोपियाँ उपालंभ देती हुई अपनी विरह विवशता प्रकट करती हैं। गोपियाँ कहती हैं कि हमारे मन की बात तो हमारे मन में ही रह गई। अब तक हम श्रीकृष्ण से मिलने की आस में अपना समय व्यतीत कर रही थीं, परंतु कृष्ण के ज्ञान योग संदेश ने उस विरह ‘ की अग्नि को और अधिक बढ़ा दिया है। गोपियाँ रात-दिन, सोते-जागते केवल कृष्ण का नाम ही जपती थीं, किंतु योग संदेश से ऐसा लगता है, जैसे उन्होंने कड़वी ककड़ी खा ली हो।

(घ) ‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर कवि की प्रिया के सौंदर्य का वर्णन कीजिए। 
उत्तर: 
कवि अपनी प्रिया के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहता है उसके लालिमायुक्त गालों को देखकर ऐसा लगता था, जैसे प्रेम बिखेरती उषा उदित हो रही हो। ऐसा लगता था, जैसे उषा भी अपनी लालिमा उसी से लिया करती थी। कवि उसकी यादों का सहारा लेकर ही अपने जीवन के रास्ते की थकान दूर करता था।

प्रश्न  11. 
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)

(क) लेखक के मन में हिरोशिमा पर गिरे अणु बम के कारण विज्ञान के इस दुरुपयोग के प्रति विद्रोह था। उसके मन में एक विवशता का जन्म हुआ। ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर लेखक की इस भीतरी विवशता का वर्णन कीजिए। 
उत्तर: 
लेखक की भीतरी विवशता का वर्णन करना बड़ा कठिन है। लेखक विज्ञान का विद्यार्थी रहा है और उसकी नियमित शिक्षा भी विज्ञान विषय में ही हुई है। अणु का सैद्धांतिक ज्ञान लेखक को पहले से ही था, परंतु जब हिरोशिमा में अणु बम गिरा, तब लेखक ने उससे संबंधित खबरें पढ़ीं, साथ ही उसके परवर्ती प्रभावों का विवरण भी पढ़ा। विज्ञान के इस दुरुपयोग के प्रति बुद्धि का विद्रोह स्वाभाविक था । लेखक ने इसके बारे में लेख आदि में कुछ लिखा भी, पर अनुभूति के स्तर पर जो विवशता होती है, वह बौद्धिक पकड़ से आगे की बात है।

(ख) सिक्किम की यात्रा करते समय लेखिका को बौद्ध धर्म-संबंधी किन आस्थाओं और विश्वासों की जानकारी प्राप्त हुई तथा लेखिका ने उनके प्रति क्या प्रतिक्रिया अभिव्यक्त की? 
उत्तर: 
सिक्किम की यात्रा करते समय लेखिका ने देखा कि अनेक लोग वहाँ बौद्ध धर्म को मानते हैं। यदि किसी बुद्दिस्ट की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी आत्मा की शांति के लिए एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं। किसी शुभ अवसर पर भी इन पताकाओं को फहराया जाता है। इन्हें उतारा नहीं जाता। ये अपने आप नष्ट हो जाती हैं। लेखिका ने पहाड़ी रास्तों पर एक कतार में लगी सफेद पताकाओं को भी देखा, जिन पर शांति और अहिंसा के मंत्र लिखे हुए थे। लेखिका उनसे अति प्रभावित हुई।

(ग) बच्चे आपस में हुए झगड़े, रोना-धोना आदि को मन में अधिक देर तक नहीं रखते। ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर इस कथन पर उदाहरण सहित अपने विचार स्पष्ट कीजिए । 
उत्तर: 
‘माता का अँचल’ पाठ में भोलानाथ और उसके मित्र बाग में बिच्छू को देखकर डर गए और भागकर आ रहे थे कि रास्ते में उन्हें मूसन तिवारी नामक एक व्यक्ति मिल गया। भोलानाथ का मित्र बैजू उन्हें चिढ़ाकर बोला- ‘बुढ़वा बेईमान लागे करैला का चोखा ।’ उसकी मित्र मंडली ने भी उसका साथ दिया और उन्हें चिढ़ाने लगे। इस पर मूसन तिवारी ने उन्हें पकड़ने के लिए चार लड़कों को भेजा। बैजू तो वहाँ से भाग गया, किंतु भोलानाथ पकड़ा गया। पाठशाला के गुरुजी ने भोलानाथ को बहुत डाँटा । जब यह बात उसके पिता को पता चली तो वे उसे पाठशाला से लेने गए। पिता को देखकर भोलानाथ जोर-जोर से रोने लगा, परंतु रास्ते में घर जाते समय पुनः अपनी मित्र मंडली देखकर वह अपना रोना-धोना तथा पीड़ा को भूलकर उनमें जा मिला। इस घटना से स्पष्ट होता है कि बच्चे रोना-धोना, पीड़ा, आपसी झगड़े ज्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकते हैं।

खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (20 अंक)

इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न  12. 
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।

(क) सिनेमा का समाज पर प्रभाव 
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • आधुनिक समय में सिनेमा की भूमिका
  • सिनेमा एवं व्यवसाय के मध्य संबंध
  • सार्थक फिल्मों की आवश्यकता

उत्तर: 
सिनेमा का समाज पर प्रभाव 
सिनेमा आधुनिक युग में विज्ञान का मुख्य आविष्कार है। सिनेमा जनसंचार एवं मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम है। समाज के प्रत्येक आयु वर्ग में इसके प्रति उत्सुकता रहती है। विज्ञान के इस महत्त्वपूर्ण आविष्कार की पहुँच आज घर-घर में है। कम खर्च में मनोरंजन करने में समर्थ चलचित्र जीवन की आवश्यकता बन गया है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों से भारतीय समाज में राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। इसका प्रभाव इस समय निर्मित सिनेमा पर भी दिखाई पड़ा है।

युवा वर्ग को आकर्षित कर धन कमाने के उद्देश्य से सिनेमा में हिंसात्मक व अनुचित चित्रांकन पर बल दिया जाता है। इसका कुप्रभाव समाज पर भी पड़ता है। प्रायः फिल्मों में यही दिखाया जाता है कि बुरा करने वाले व्यक्ति का अंत में बुरा ही होता है एवं अच्छाई की जीत होती है। सिनेमा के माध्यम से समाज को ज्ञान, मनोरंजन जैसे साधन प्राप्त हुए, वहीं बोलने वाले सिनेमा ने अच्छे नायकों, शास्त्रीय संगीत वादकों को अपनी ओर आकृष्ट किया। इसके फलस्वरूप सुप्रसिद्ध गायक और वादक सिनेमा में कार्य करने लगे और सिनेमा की प्रतिष्ठा बढ़ने लगी। लोगों को अपने कला कौशलों को दिखाने का अवसर मिला।

भारत की फिल्मों के बारे में यह भी कहा जाता है कि ये फिल्में प्रायः प्रेम-कहानियों पर आधारित होती हैं। यह सही है, परंतु पिछले कुछ वर्षों में आधुनिक भारतीय फिल्मकारों ने नो वन किल्ड जेसिका, पीपली लाइव, आर्टिकल 15 ऐसी अनेक सार्थक फिल्मों का भी निर्माण किया है। ऐसी फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है एवं लोग सिनेमा से शिक्षा ग्रहण कर समाज सुधार के लिए कटिबद्ध होते हैं।

(ख) विद्यालयों की जिम्मेदारी – बेहतर नागरिक बोध 
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • व्यक्तित्व निर्माण में विद्यालय का स्थान
  • राष्ट्र और समाज के प्रति उत्तरदायित्व
  • नागरिक अधिकारों व कर्त्तव्यों का बोध

उत्तर: 
विद्यालयों की ज़िम्मेदारी बेहतर नागरिक बोध विद्यालय, बालकों को घर तथा संसार से जोड़ने का कार्य करते हैं। व्यक्तित्व का सामंजस्यपूर्ण विकास करने में विद्यालय का महत्त्वपूर्ण योगदान है। विद्यालय में समाज के आदर्शों, विचारधाराओं का प्रचार होता है तथा शिक्षित नागरिकों के निर्माण में योगदान देता है। बच्चे के व्यक्तित्व का निर्माण करने में विद्यालय का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ पर प्रत्येक समुदाय से बच्चे आते हैं। और औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिससे वे अपने समुदाय की संस्कृति और कार्य को सीखते हैं। इससे न केवल बच्चे सीखते हैं अपितु उनका व्यक्तित्व निर्माण भी भली-भांति होता है। विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण समय होता है।

इस समय में ग्रहण किए गए संस्कार या सीखी हुई बातें हमारा भविष्य निर्धारित करती हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि बालक विद्यार्थी जीवन से ही देश के प्रति अपने कर्त्तव्य समझें। शुरू से ही राष्ट्र व समाज के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराने से छात्र का जीवन इस प्रकार ढल सकेगा कि राष्ट्र के प्रति उसके जो कर्तव्य हैं, वह उन्हें पूरा करने में -सक्षम होगा। विद्यालयों का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य छात्रों में राष्ट्र व समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना है। विद्यार्थियों में देश के प्रति शक्तिबोध तथा सौंदर्यबोध बढ़ाना है। विद्यार्थियों को राष्ट्र व समाज का सदैव स्मरण करते रहने से ही उनमें नागरिक बोध की भावना का विकास कर सकते हैं।

विद्यार्थियों को अपनी दैनिक दिनचर्या का एक निश्चित समय देश की सेवा के लिए निर्धारित करना चाहिए। आज के विद्यार्थी कल के होने वाले नागरिक होते हैं, इसलिए उनके राष्ट्र के प्रति कुछ अधिकार और कर्तव्य होते हैं। देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकारों व कर्त्तव्यों का बोध होना आवश्यक है। प्रत्येक विद्यार्थी को यह समझना चाहिए कि हमारा राष्ट्र भी हमारा परिवार है, एक बड़ा परिवार। किसी भी नागरिक का समाज और राष्ट्र से बंधन उसके अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्यों से मिलकर ही सशक्त बनता है। अधिकार और कर्त्तव्य दोनों एक ही सिक्के के दो भाग हैं, जो साथ-साथ चलते हैं। ‘ अंततः कहा जा सकता है कि मनुष्य में देश व समाज के प्रति नागरिक बोध की भावना का विकास बचपन से ही किया जाना चाहिए और यह विद्यालयों के द्वारा ही संभव है।

(ग) मीडिया का वर्चस्व 
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • मीडिया की उपयोगिता
  • मीडिया के प्रशंसनीय कार्य
  • रोजगार के अवसर

उत्तर: 
मीडिया का वर्चस्व 
आज मास मीडिया विशेष रूप से सदृश्य मीडिया समाज के बीच जागरूकता का वातावरण बनाने में निर्णायक भूमिका निभा रही है। दृश्य मीडिया के ज्ञान व जानकारी से दर्शकों के मन पर तेज़ी से और लंबे समय तक प्रभाव पड़ता है। मीडिया के द्वारा सभी घटनाओं से दर्शकों को अवगत करवाया जाता है। मीडिया सूचनाओं को अति तीव्र गति से लोगों को सुलभ कराने में सहायक है। मीडिया सामाजिक चेतना को जागरूक करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भ्रष्टाचार, महँगाई, आतंकवाद, नक्सलवाद, चोरी, डकैती, बलात्कार, बाढ़, सूखा, भूकंप इत्यादि समस्याओं को मीडिया ही जनता के समक्ष लाती है। मीडिया के कारण ही अन्ना का लोकपाल बिल सफल हुआ तथा मीडिया के द्वारा ही 2-जी स्पेक्ट्रम जैसे मामलों में उच्च घरानों के व्यक्तियों के नाम सामने आए।

इस प्रकार मीडिया का उद्देश्य सामाजिक चेतना को और अधिक, जागरूक करना है। मीडिया बाद, भूकंपग्रस्त आदि क्षेत्रों पर पहुँचकर वहाँ की जानकारी देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मीडिया अंधविश्वास, अंधश्रद्धा को हमारे समक्ष लाती है तथा स्वयं को धर्म का ठेकेदार कहने वाले व्यक्तियों के असली चेहरे को दिखाती है। मीडिया जीवन के प्रत्येक पहलू से लोगों को परिचित करवाती है, चाहे वह धार्मिक हो, सांस्कृतिक हो अथवा कोई भी क्षेत्र हो। मीडिया ने लोगों को उनके अधिकार दिलाने में बहुत अधिक सहायता की है।

लोगों को न्याय दिलाने में मीडिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी भी व्यक्ति के साथ हो रहे अन्याय को समाज के समक्ष लाने में मीडिया ने प्रशंसनीय कार्य किए हैं। सोशल मीडिया साइबर बुलिंग को बढ़ावा देता है। यह फेक न्यूज और हेट स्पीच फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया पर गोपनीयता की कमी होती है और निजी डाटा चोरी होने का खतरा रहता है। साइबर अपराधों; जैसे — हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है। मीडिया से लोगों को रोज़गार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं। कार्टून के माध्यम से समाचार दिखाकर मीडिया जनता का मनोरंजन करने के साथ-साथ ज्ञान में वृद्धि भी करती है। वस्तुत: मीडिया को समाज में जागरूकता उत्पन्न करने के एक साधन के रूप में देखा जा सकता है, जो लोगों को सही व गलत कार्य करने की दिशा में एक प्रेरक का कार्य करती है, इसलिए मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है।

प्रश्न  13. 
आप श्वेता तिवारी हैं। आपके शहर में बढ़ते मद्यपान के आंदोलन की शुरुआत करने के लिए दैनिक जागरण अ, ब, स नगर के संपादक को एक समाचार प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5) 
अथवा 
आप गौरव सिंह हैं। आपको विद्यालय की ओर से खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मुंबई भेजा गया। खेल प्रतियोगिता के अपने अनुभव को बताते हुए अपने मित्र को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए । 
उत्तर: 
परीक्षा भवन, 
दिल्ली | 
दिनांक 17 मार्च, 20XX 
सेवा में, 
प्रधान संपादक, 
हिंदुस्तान, 
नई दिल्ली।

विषय मद्यपान के विरुद्ध आंदोलन शुरू करने हेतु ।

महोदय,

मैं आपके समाचार-पत्र की नियमित पाठिका हूँ। मुझे भली-भाँति पता है कि आपका समाचार-पत्र सामाजिक दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वाह कर रहा है, इसलिए मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि आप अपने प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मद्यपान के विरुद्ध आंदोलन की शुरुआत करें। इससे मद्यपान के विरुद्ध जनमत जागृत करने में अत्यधिक सहायता मिलेगी। इस सामाजिक समस्या के विरुद्ध वातावरण बनाने की आवश्यकता है, ताकि इसका उन्मूलन किया जा सके। आशा है कि आप मेरे विचारों से सहमत होंगे और इस दिशा में यथासंभव प्रयास करेंगे।

सधन्यवाद ।

भवदीया 
श्वेता तिवारी

अथवा

परीक्षा भवन, 
दिल्ली। 
दिनांक 16 मार्च, 20XX 
प्रिय मित्र,

सप्रेम नमस्ते !

आशा है तुम कुशलपूर्वक होंगे। हम सब भी यहाँ पर कुशलतापूर्वक हैं। मैंने अपने विद्यालय की ओर से खेल प्रतियोगिता में भाग लिया था। इस खुशी और प्रतियोगिता के अनुभवों को तुम्हें बताना चाहता हूँ। हमारे विद्यालय की ओर से मेरे सहित पाँच विद्यार्थियों का चयन मुंबई में होने वाली बेसबॉल राष्ट्रीय स्पर्द्धा के लिए किया गया। हम पाँचों खिलाड़ियों ने एक सप्ताह पहले मुंबई के लिए प्रस्थान किया। आयोजित स्थान पर अलग-अलग विद्यालयों के छात्र उपस्थित थे। हमारे साथ हमारे कोच भी थे। बेसबॉल की खेल प्रतियोगिता में हमने जी-जान लगाकर खेला और हम स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे। हम सभी खिलाड़ी बहुत खुश थे। खेल प्रतियोगिता के बाद हमने मुंबई के अनेक स्थानों का भ्रमण किया। यह सात दिन हमारे लिए बहुत सुखद थे। वहाँ खींचे गए फ़ोटो मैं तुम्हें मिलने पर अवश्य दिखाऊँगा ।

तुम्हारा प्रिय मित्र 
गौरव सिंह

प्रश्न  14. 
आप सौरभ शर्मा हैं। आप बी. एड कर चुके हैं। आपको माँ केसर देवी पब्लिक स्कूल अ, ब, स नगर में अर्थशास्त्र अध्यापक/अध्यापिका पद के लिए आवेदन करना है। इसके लिए आप अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए । (5) 
अथवा 
आप रोहित कुमार हैं। आप अपना बैंक खाता दूसरी शाखा में ट्रांसफर कराना चाहते हैं, इस संदर्भ में बैंक प्रबंधक को 80 शब्दों का ई-मेल लिखिए। 
उत्तर: 
स्ववृत्त 
नाम : सौरभ शर्मा 
पिता का नाम : श्री प्रीतम शर्मा 
माता का नाम : श्रीमती सुमन शर्मा 
जन्म तिथि : 19 मार्च, 19XX 
वर्तमान पता : डी-31, साकेत (पिलर 21, मेट्रो स्टेशन के पास), दिल्ली। 
स्थायी पता : उपर्युक्त 
दूरभाष नंबर : 011-5468XX 
मोबाइल नंबर : 78XXXXXXXX 
ई-मेल : Saurabhsharma8751@gmail.com

अन्य संबंधित योग्यताएँ

  • कंप्यूटर का विशेष ज्ञान और अभ्यास (एम.एस. ऑफिस, एक्सेल, इंटरनेट)
  • अंग्रेजी भाषा का ज्ञान

उपलब्धियाँ

  • सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता ( राज्य-स्तरीय वर्ष 2015) में प्रथम पुरस्कार ।
  • सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (राष्ट्रीय स्तर वर्ष 2016 ) प्रथम पुरस्कार ।

कार्येत्तर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ

  • सांख्यिकी विभाग (राज्य सरकार) में तीन माह की जनगणना के आँकड़ों को एकत्र करने तथा उनका विश्लेषण करने से संबंधित प्रोजेक्ट किया।
  • सामान्य ज्ञान से संबंधित पत्रिकाओं का नियमित पठन किया ।
  • सामान्य पत्र का नियमित पठन किया।

संदर्भित व्यक्तियों का विवरण

  • श्री हरिओम शर्मा, प्रिंसिपल, राजकीय विद्यालय, साकेत ।
  • श्री मोहन गुप्ता, प्रोफेसर, एच.एस.सी. कॉलेज, दिल्ली।

उद्घोषणा मैं यह पुष्टि करता हूँ कि मेरे द्वारा दी गई उपर्युक्त जानकारी पूर्ण रूप से सत्य है। 
तिथि: 6 अक्टूबर, 20XX 
स्थान : दिल्ली। 
सौरभ शर्मा 
हस्ताक्षर

अथवा

From : Rohit@gmail.com 
To : sbim.n@gmail.com 
CC : manager@gmail.com 
BCC: – 
विषय बैंक खाता ट्रांसफर करवाने हेतु । 
महोदय, 
मेरा नाम रोहित कुमार है और मैं आपके बैंक का एक खाताधारक हूँ। मेरी नौकरी के ट्रांसफर हो जाने के कारण मैं अपना बैंक खाता आपकी शाखा से दूसरे बैंक में स्थानांतरित कराना चाहता हूँ । आपसे निवेदन है कि मुझे इस संबंध में कौन-से दस्तावेज चाहिए होंगे, यह भी शीघ्र ही बताएँ और मेरे बैंक खाते को ट्रांसफर करने की कृपा करें। 
धन्यवाद । 
भवदीय 
रोहित कुमार

प्रश्न  15. 
आपके भाई ने एक कार ड्राइविंग सेंटर खोला है। वे प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप उनके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए । (4) 
 

अथवा

नवरात्रि पर शुभकामना संदेश

दिनांक : 28 सितंबर, 20XX 
समय : प्रात: 9:00 बजे

नौ रूपों वाली माँ

प्रिय मित्र, 
नवरात्रि के पावन त्योहार पर आपको व आपके परिवार को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ। यह त्योहार आपके जीवन में बहुत खुशियाँ, सुख-शांति और समृद्धि लाए। माँ दुर्गा का आशीर्वाद आप सब पर हमेशा बना रहे। मंगल कामना के साथ आपको ढेर सारी बधाइयाँ।

तुम्हारा मित्र 
क. ख.ग.

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